ग़लत सब दलीलें ग़लत सब हवाले
ग़लत सब दलीलें ग़लत सब हवाले
अंधेरे अंधेरे उजाले उजाले
मिरे हाल पर फब्तियाँ कसने वाले
मबादा तुझे फूँक दें मेरे नाले
हमें जान-ओ-दिल से वो अपना बना ले
मगर हम कहाँ ऐसी तक़दीर वाले
मुझे वा'ज़ पर वा'ज़ फ़रमाने वाले
अगर कोई तेरी भी नींदें चुरा ले
हज़ारों थे दुनिया में इख़्लास वाले
मगर गर्दिश-ए-वक़्त ने पीस डाले
रहे ज़िंदगी में बजा सई-ए-पैहम
मुक़द्दर का लिक्खा मगर कौन टाले
मोहब्बत पे तेरा ये एहसान होगा
मोहब्बत में जी से गुज़र जाने वाले
इधर तो है महकी फ़ज़ा-ए-मोहब्बत
उधर ज़ेहन पर चंद यादों के जाले
हक़ीक़त हमेशा हक़ीक़त रहेगी
हक़ीक़त पे पर्दे कोई लाख डाले
मोहब्बत की नैरंगियाँ तौबा तौबा
कहीं रातें रौशन कहीं दिन भी काले
कोई दम के मेहमाँ हैं ऐ ज़िंदगी हम
जहाँ तक तुझे रास आना है आ ले
अगर मेरी हस्ती खटकती है तुझ को
तो ले डूब जाता हूँ ऐ नाख़ुदा ले
किसी जान-ए-जाँ की अमानत हैं 'आसी'
ये अश्कों के तूफ़ाँ ये आहें ये नाले
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