ग़ज़ब हैं पीटते झल्लाते पेड़ों में जो ये लहराती गाती टहनियाँ हैं
ग़ज़ब हैं पीटते झल्लाते पेड़ों में जो ये लहराती गाती टहनियाँ हैं
यासिर इक़बाल
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ग़ज़ब हैं पीटते झल्लाते पेड़ों में जो ये लहराती गाती टहनियाँ हैं
सरासर ये जनाब-ए-झुण्ड की तिनका-सराई है हम अच्छी टहनियाँ हैं
सखी जैसा नसीबा है पराई गोद की तशहीर से तो ये सफल है
बहन मालन के दरवाज़े पे लटकी अस्ल में पैरों में बिखरी टहनियाँ हैं
बहुत पहुँचे हुए कड़ियल तने को ख़्वाब में शायद लकड़हारा दिखा है
हरावल की जड़ों के साँस उखड़ते जा रहे हैं सहमी सहमी टहनियाँ हैं
बगूलों की ख़बर पर डोलती डाली ने इक गुंजान टहनी से कहा था
ख़ुदा रक्खे शगूफ़ों कोंपलों से तो परेशान आज सारी टहनियाँ हैं
हरे हाथों पे शजरे फूल उठाती और ख़िज़ाँ की झोलियों में फल गिराती
ये हज़रत टुंड की गुस्ताख़ हैं ये 'आक़िबत को भूल बैठी टहनियाँ हैं
बुज़ुर्गो भाइयो बहनो भले जितना लचक लें या चटक लें या महक लें
सभी आतिश-कदे की झोंक हैं कोई तनावर हैं कि छोटी टहनियाँ हैं
हमें पाकीज़ा शजरों की नुमू-याबी के खाते में कहीं लिक्खा न जाए
हम अपने बरगुज़ीदा बरगदों के हाशियों से बाहर आई टहनियाँ हैं
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