गुलों के हुस्न-ए-ज़ेबा पर फबन महसूस होती है
गुलों के हुस्न-ए-ज़ेबा पर फबन महसूस होती है
तिरी परछाईं जब सेहन-ए-चमन महसूस होती है
ज़माना ने हमारे बीच इतनी दूरियाँ रख दीं
तुम्हें गर सोचता भी हूँ थकन महसूस होती है
तिरे बख़्शे हुए ज़ख़्मों को लम्हे भर गए लेकिन
अभी तक दिल के पहलू में दुखन महसूस होती है
बिछड़ते वक़्त मुड़ मुड़ देखना बोझल क़दम रखना
उसी मंज़र की आँखों में चुभन महसूस होती है
किसी तूफ़ाँ की दस्तक चोर दरवाज़े पे है शायद
जबीं पर वक़्त की पड़ती शिकन महसूस होती है
लड़कपन में खुली आँखों से जो तुम ने दिखाए थे
उन्हीं ख़्वाबों की पलकों में जलन महसूस होती है
मिरे पहलू से तो उठ कर गए थे मुद्दतें गुज़रीं
तुम्हारे लम्स की अब भी तपन महसूस होती है
महक तेरी उड़ा कर ले गए झोंके तग़ाफ़ुल के
बहारों में भी साँसों में घुटन महसूस होती है
नहीं मालूम 'राहत' कितने अंदेशों का है क़ैदी
वो जिस को घर में रह कर भी थकन महसूस होती है
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