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हुस्न-ए-अख़्लाक़-ओ-मोहब्बत की फ़ज़ा छोड़ आए

शाद फ़िदाई देहलवी

हुस्न-ए-अख़्लाक़-ओ-मोहब्बत की फ़ज़ा छोड़ आए

शाद फ़िदाई देहलवी

MORE BYशाद फ़िदाई देहलवी

    हुस्न-ए-अख़्लाक़-ओ-मोहब्बत की फ़ज़ा छोड़ आए

    हम जहाँ पहुँचे वहाँ बू-ए-वफ़ा छोड़ आए

    जब चले घर से तो राज़िक़ का पता छोड़ आए

    अपने बच्चों के लिए नाम-ए-ख़ुदा छोड़ आए

    ग़ैर के साथ उन्हें हँसता हुआ छोड़ आए

    ख़ैर के साए को हम अपनी दुआ छोड़ आए

    वो तमन्नाएँ कभी ज़िंदा नहीं रह सकतीं

    उन की महफ़िल में जिन्हें रोता हुआ छोड़ आए

    इस से पहले कि तिरा नाम रुस्वा हो जाए

    ख़ुल्द-आसा तिरे कूचे की फ़ज़ा छोड़ आए

    अपने हाथों से तराशे थे कभी जो हम ने

    तेरी वहदत की क़सम सब वो ख़ुदा छोड़ आए

    निगह-ए-लुत्फ़ को एक एक का मुँह तकते हैं

    हम ख़ुदा जाने कहाँ अपनी अना छोड़ आए

    'शाद' जिस राह से हक़ ढूँडने वाले गुज़रे

    हम भी उस राह में क़दमों की ज़िया छोड़ आए

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