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इस तरफ़ से उस तरफ़ तक ख़ुश्क ओ तर पानी में है

मोहसिन ज़ैदी

इस तरफ़ से उस तरफ़ तक ख़ुश्क ओ तर पानी में है

मोहसिन ज़ैदी

MORE BYमोहसिन ज़ैदी

    इस तरफ़ से उस तरफ़ तक ख़ुश्क तर पानी में है

    अब समुंदर से समुंदर तक नज़र पानी में है

    मेरी आँखों में इधर मंज़र है अपनी मौत का

    और कोई डूबने वाला उधर पानी में है

    जाने कब मेरे समुंदर को कोई साहिल मिले

    कब से मेरा जिस्म सरगर्म-ए-सफ़र पानी में है

    कश्ती-ए-अंफ़ास ज़ेर-ए-आब भी है शोला-बार

    तह-ब-तह जैसे कोई मौज-ए-शरर पानी में है

    जल गया होता शुआ-ए-मेहर से ये शहर भी

    ख़ैरियत गुज़री कि ख़्वाबों का नगर पानी में है

    इस बुलंदी से लगाऊँ किस तरफ़ अब मैं छलांग

    एक दर है दश्त में तो एक दर पानी में है

    हो चुके हैं कब के चकना-चूर आईने सभी

    ये तो 'मोहसिन' अपना ही अक्स-ए-नज़र पानी में है

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