इश्क़ अबरू का हुआ ज़ुल्फ़-ए-रसा से पहले
इश्क़ अबरू का हुआ ज़ुल्फ़-ए-रसा से पहले
क्या तमाशा है कि मरते हैं क़ज़ा से पहले
दस्त-ए-रंगीं का लिया बोसा अगर चोरी से
हाथ बंधवाए मिरे दुज़्द-ए-हिना से पहले
उस ने पोशाक पिन्हाने का ये इनआ'म दिया
डाल ली दिल में गिरह बंद-ए-क़बा से पहले
यूँ न हाथ आएगा हरगिज़ किसी जाँबाज़ का दिल
कीजिए कुछ तो जफ़ा इश्क़-ए-जफ़ा से पहले
कर दिया दर्द-ए-जुदाई ने यहाँ काम तमाम
हम बुलाते ही रहे उन को क़ज़ा से पहले
सग-ए-जानाँ का ये एहसान न भूलूँगा कभी
हड्डियाँ खाईं मिरी आ के हुमा से पहले
मुश्किलें नज़्अ' की हो जाएँ सब आसान अभी
लुत्फ़ फ़रमाएँ अगर आप क़ज़ा से पहले
जज़्ब-ए-उल्फ़त की है तासीर कि हाथों में तिरे
रच गया ख़ून मिरा रंग-ए-हिना से पहले
पीछे रुख़्सार-ए-मुनव्वर से उलटियेगा नक़ाब
पूछ तो लीजिए आप अपनी हया से पहले
ग़ैर कोई नहीं तकलीफ़ न दो हीले को
हाथ काँधे पे रखो लग़्ज़िश-ए-पा से पहले
जब चला क़ाफ़िला यारों का सू-ए-मुल्क-ए-अदम
हमीं तय्यार हुए बाँग-ए-दरा से पहले
उम्र तो उस की बहुत तूल है मुझ से लेकिन
झुक गई मेरी कमर ज़ुल्फ़-ए-दोता से पहले
ख़िज़्र को वादी-ए-वहशत में न रखना था क़दम
पूछ लेना था किसी आबला-पा से पहले
इस भरोसे पे गुनह करते हैं 'वहबी' हम रिंद
रहम करती है अता उस की ख़ता से पहले
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