जैसे देखा है दिखाया भी नहीं जा सकता
जैसे देखा है दिखाया भी नहीं जा सकता
ख़्वाब का हाल सुनाया भी नहीं जा सकता
फेंकी जाती भी नहीं राह में यादें उस की
और ये बोझ उठाया भी नहीं जा सकता
अक्स को आँख से थामा है सर-ए-आब-ए-रवाँ
चाँद पानी में बहाया भी नहीं जा सकता
दो किनारे भी ये होते तो मिला देता मैं
दिल को दुनिया से मिलाया भी नहीं जा सकता
होते होते वो मुझे इश्क़-नगर ले ही गया
मैं ने सौ बार बताया भी नहीं जा सकता
इस जगह रह के मैं आया हूँ तख़य्युल वालो
जिस जगह सोच का साया भी नहीं जा सकता
ना-मुरादी रुख़-ए-क़ातिल पे लिखी रहती है
ख़ून का दाग़ मिटाया भी नहीं जा सकता
हाल आइंदा सुनाता चला जाता लेकिन
हँसने वालों को रुलाया भी नहीं जा सकता
वर्ना दिन-रात मैं सर-तोड़ मशक़्क़त करता
क्या करूँ प्यार कमाया भी नहीं जा सकता
अब मैं क्या राह निकालूँ कि जुदाई जाए
उस से आया भी बुलाया भी नहीं जा सकता
दिल ही मिस्मार करें अहल-ए-मोहब्बत 'नय्यर'
पूरा माहौल तो ढाया भी नहीं जा सकता
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