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जल्वे बेहोश न कर दें तिरे दीवानों को

सय्यद हबीब

जल्वे बेहोश न कर दें तिरे दीवानों को

सय्यद हबीब

MORE BYसय्यद हबीब

    जल्वे बेहोश कर दें तिरे दीवानों को

    शम्अ' की लौ कहीं फूँक दे परवानों को

    कर तल्क़ीन-ए-अदब बज़्म में मस्तानों को

    होश रहता है किसे देख के पैमानों को

    सुब्ह की पहली किरन शब का हटाती है नक़ाब

    ज़िंदगी अज़-सर-ए-नौ मिलती है अरमानों को

    ज़ीस्त बे-रंग थी सादा थी कहानी दिल की

    रंग बख़्शा तिरी उल्फ़त ने ही अफ़्सानों को

    ये तबस्सुम ये तकल्लुम ये तरन्नुम ये अदा

    बे-क़रार और भी करते हैं परेशानों को

    चंद काँटे रह-ए-दुनिया से हटाए हैं ज़रूर

    गुलसिताँ गरचे बनाया बयाबानों को

    मुद्दतों की वो मिरी तिश्ना-लबी है कि 'हबीब'

    तकती है दूर से ख़ामोश जो पैमानों को

    स्रोत :
    • पुस्तक : 1971 ki Muntakhab Shayri (पृष्ठ 107)
    • रचनाकार : Kumar Pashi, Prem Gopal Mittal
    • प्रकाशन : P.K. Publishers, New Delhi (1972)
    • संस्करण : 1972

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