जिन के अच्छे हैं सनम उन के करम अच्छे हैं
जिन के अच्छे हैं सनम उन के करम अच्छे हैं
उन के अच्छे हैं करम जिन के सनम अच्छे हैं
तेरे कूचे के मज़े कब को समझता वाइज़
उस की तस्कीं के लिए ज़िक्र-ए-इरम अच्छे हैं
जुस्तुजू कीजिए कितनी ही नहीं मिलते वो
हाँ उन्हें मिलते हैं बस जिन के करम अच्छे हैं
काम आएँ भी किसी के तो न एहसान रखें
अहल-ए-दुनिया से तो पत्थर के सनम अच्छे हैं
दिल में कमतर जिन्हें होने का है एहसास वही
सब से कहते हैं वो दुनिया में कि हम अच्छे हैं
यूँ तो गिनती में हज़ारों हैं भरी ख़ूबी मगर
काम दुनिया के अगर आएँ तो हम अच्छे हैं
ख़ूगर-ए-रस्म-ए-सितम मैं हुआ 'दीवान' अब तो
अल-ग़रज़ अपने लिए अहल-ए-सितम अच्छे हैं
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