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जुनून-ए-दिल अगर आमादा-ए-इज़हार हो जाए

सईद शहीदी

जुनून-ए-दिल अगर आमादा-ए-इज़हार हो जाए

सईद शहीदी

MORE BYसईद शहीदी

    जुनून-ए-दिल अगर आमादा-ए-इज़हार हो जाए

    बहार आने से पहले ही चमन बेदार हो जाए

    ख़ुशी कैसी ख़ुशी से वास्ता क्या ग़म परस्तों को

    मुसलसल ग़म हो तो ज़िंदगी दुश्वार हो जाए

    ठहर बर्क़ ये दो-चार तिनके जम्अ तो कर लूँ

    बस इतनी और मोहलत आशियाँ तय्यार हो जाए

    अता कर हाँ अता कर काएनात-ए-दर्द के मालिक

    इक ऐसा दर्द जो ना-क़ाबिल-ए-इज़हार हो जाए

    वो आएँ या आएँ अब मैं आँखें बंद करता हूँ

    यूँही शायद मुकम्मल इंतिज़ार-ए-यार हो जाए

    ये तूफ़ाँ ये तलातुम सिर्फ़ मेरी ज़िंदगी तक है

    अगर मैं ग़र्क़ हो जाऊँ तो बेड़ा पार हो जाए

    अभी क़ाबू है दिल पर अपनी बर्बादी पे हँसता हूँ

    फिर इस के बा'द शायद ज़ब्त-ए-ग़म दुश्वार हो जाए

    नशेमन पर नशेमन इस तरह ता'मीर करता जा

    कि गिरते गिरते बिजली आप ख़ुद बेज़ार हो जाए

    'सईद' अब क्या करूँगा पाँव के छालों से तंग कर

    दुआ करता हूँ सारा रास्ता पुर-ख़ार हो जाए

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