करम-ए-फ़ितरत-ए-अहबाब वही है कि जो था
करम-ए-फ़ितरत-ए-अहबाब वही है कि जो था
सय्यद मुज़फ़्फ़र अहमद ज़िया
MORE BYसय्यद मुज़फ़्फ़र अहमद ज़िया
करम-ए-फ़ितरत-ए-अहबाब वही है कि जो था
या'नी हाल-ए-दिल-ए-बेताब वही है कि जो था
रौनक़-ए-शहर मिरी आँखों से देखो लोगो
एक वीराना पस-ए-ख़्वाब वही है कि जो था
बारहा छेड़ा है साज़-ए-रग-ए-जाँ को फिर भी
दिल से इक रिश्ता-ए-मिज़राब वही है कि जो था
अश्क-ए-उल्फ़त को हिक़ारत से न देखो कि ये अश्क
आज भी गौहर-ए-नायाब वही है कि जो था
यूँ तो हर तरह मसाइल में इज़ाफ़ा है मगर
क़िस्सा-ए-मिम्बर-ओ-मेहराब वही है कि जो था
तकिया-ए-ख़ाक-ए-क़नाअत है इधर और उधर
बिस्तर-ए-अतलस-ओ-कमख़ाब वही है कि जो था
लाख तस्कीन के सामान मयस्सर हैं 'ज़िया'
आलम-ए-दीदा-ए-बे-ख़्वाब वही है कि जो था
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