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ख़ुद अपने आप को ज़ंजीर करता रहता है

बिस्मिल आरिफ़ी

ख़ुद अपने आप को ज़ंजीर करता रहता है

बिस्मिल आरिफ़ी

MORE BYबिस्मिल आरिफ़ी

    ख़ुद अपने आप को ज़ंजीर करता रहता है

    वो मेरे ख़्वाब की ता'बीर करता रहता है

    अजब नहीं कि उसे मेरी आरज़ू ही हो

    कि अब वो आने में ताख़ीर करता रहता है

    नए मकान की वुसअ'त उस को रास आई

    वो अब भी ज़ेहन में तस्वीर करता रहता है

    क़लम उठाने की तहरीक भी उसी ने दी

    और अब वही है कि ता'ज़ीर करता रहता है

    उयूब अपने छुपाओगे किस तरह 'बिस्मिल'

    वो रोज़ नामचा तहरीर करता रहता है

    स्रोत :
    • पुस्तक : مرے تصور میں رنگ بھردو (पृष्ठ 74)
    • रचनाकार : بسمل عارفی
    • प्रकाशन : نور پبلی کیشن، دریا گنج،نئی دہلی (2019)

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