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ख़ुदी गुम कर चुका हूँ अब ख़ुशी-ओ-ग़म से क्या मतलब

अकबर इलाहाबादी

ख़ुदी गुम कर चुका हूँ अब ख़ुशी-ओ-ग़म से क्या मतलब

अकबर इलाहाबादी

MORE BYअकबर इलाहाबादी

    ख़ुदी गुम कर चुका हूँ अब ख़ुशी-ओ-ग़म से क्या मतलब

    त'अल्लुक़ होश से छोड़ा तो अब 'आलम से क्या मतलब

    क़नाअ'त जिस को है वो रिज़्क़-ए-मा-यहताज पर ख़ुश है

    समझ जिस को है उस को बहस-ए-बेश-ओ-कम से क्या मतलब

    जिसे मरना हो वो हश्र तक की फ़िक्र में उलझे

    बदलती है अगर दुनिया तो बदले हम से क्या मतलब

    मिरी फ़ितरत में मस्ती है हक़ीक़त-बीं है दिल मेरा

    मुझे साक़ी की क्या हाजत है जाम-ओ-जम से क्या मतलब

    ख़ुद अपनी रीश में उलझे हुए हैं हज़रत-ए-वा'इज़

    भला उन को बुतों के गेसू-ए-पुर-ख़म से क्या मतलब

    नई ता'लीम को क्या वास्ता है आदमिय्यत से

    जनाब-ए-डार्विन को हज़रत-ए-आदम से क्या मतलब

    सदा-ए-सरमदी से मस्त रहता हूँ सदा 'अकबर'

    मुझे नग़्मों की क्या पर्वा मुझे सरगम से क्या मतलब

    स्रोत :
    • पुस्तक : ہنگامہ ہے کیوں برپا (पृष्ठ 48)
    • रचनाकार : اکبر الہ آبادی
    • प्रकाशन : ریختہ بکس (2023)

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