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ख़ुशी के दिन हों तो उजला लिबास सब पहनें

यावर अज़ीम

ख़ुशी के दिन हों तो उजला लिबास सब पहनें

यावर अज़ीम

MORE BYयावर अज़ीम

    ख़ुशी के दिन हों तो उजला लिबास सब पहनें

    और एक हम कि वही जामा-ए-ताब पहनें

    उतारें अपने बदन से अकेले-पन की धूप

    किसी निगाह को ओढें किसी के लब पहनें

    ब-वक़्त-ए-सुबह पहन लेंगे फिर लबादा-ए-ख़ुशक

    नम-ए-विसाल ही अच्छा है शब की शब पहनें

    ख़रीदा और सुलाया भी इस्त्री भी किया

    मगर समझ नहीं आती वो सूट कब पहनें

    अजीब इन के रवय्यों में बद-तमीज़ी है

    ये अहल-ए-शहर कभी जामा-ए-अदब पहनें

    पहनने की हमें आज़ादी मिल रही है मगर

    समाज जिस को समझता है मा-वजब पहनें

    हमारे दिल ने गवारा नहीं किया 'यावर'

    हम उस के हिज्र में पैराहन-ए-तरब पहनें

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