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किन बलाओं का असर घूमता है

शहराम सर्मदी

किन बलाओं का असर घूमता है

शहराम सर्मदी

MORE BYशहराम सर्मदी

    किन बलाओं का असर घूमता है

    बे-सबब ही मिरा सर घूमता है

    अब ठहर भी जा मिरे घर में तू

    देख कब से मिरा घर घूमता है

    इक इक दिन तो नज़र आएगा

    तू सर-ए-बाम अगर घूमता है

    मेरा सय्यारा-ए-रौशन अब तक

    दूर उफ़ुक़-पार उधर घूमता है

    जब से ठहरा हूँ मैं अपने अतराफ़

    ये कुरह शाम-ओ-सहर घूमता है

    स्रोत :
    • पुस्तक : किताब गुमराह कर रही है (पृष्ठ 34)
    • रचनाकार : शहराम सर्मदी
    • प्रकाशन : रेख़्ता पब्लिकेशंस (2018)
    • संस्करण : First

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