किसी से इश्क़ करना और उस को बा-ख़बर करना
किसी से इश्क़ करना और उस को बा-ख़बर करना
है अपने मतलब-ए-दुश्वार को दुश्वार तर करना
नहीं है मौत पर भी इख़्तियार ऐ वा-ए-मजबूरी
उमीद-ए-मर्ग में मुश्किल बसर करना मगर करना
क़फ़स में क़ैद करना था तो बाल-ओ-पर कतरने थे
सितम है बाल-ओ-पर रखते हुए भी यूँ बसर करना
जो पर थे माया-ए-पर्वाज़ हैं वज्ह-ए-गिराँ-बारी
ग़ुरूर-ए-बाल-ओ-पर करना तो मुझ को देख कर करना
बना कर जौर का ख़ूगर इनायत की नज़र करना
जफ़ा कर शौक़ से तू ज़ब्त पर मेरे न जा हरगिज़
शिकायत क्या मुझे ये काम है जब उम्र भर करना
जफ़ा उन की वफ़ा-परवर वफ़ा मेरी जफ़ा-परवर
वो उन को उम्र भर करना ये मुझ को उम्र भर करना
सर-ए-रह पूछते हैं हाल क्या कहिए कि मुश्किल है
बयान-ए-दर्द-ए-दिल करना और उस को मुख़्तसर करना
तवज्जोह चारागर की बाइस-ए-तकलीफ़ है 'बेख़ुद'
इज़ाफ़ा है मुसीबत में दवाओं का असर करना
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