कितना वो पारसा सा लगता है
कितना वो पारसा सा लगता है
आदमी देवता सा लगता है
पूछ लेता है हाल-ए-दिल मेरा
अजनबी आश्ना सा लगता है
लोग कहते हैं उस को दीवाना
आदमी तो भला सा लगता है
आप सा हम-सफ़र जो मिल जाए
रास्ता रास्ता सा लगता है
गर्द ग़म की अगर न जमने पाए
दिल भी इक आइना सा लगता है
जैसे पत्थर के बुत तराशे हों
हर बदन खुरदुरा सा लगता है
जिस का चर्चा है सारी बस्ती में
वो कोई दिल-जला सा लगता है
एक मैं ही नहीं लुटा हूँ 'रईस'
कारवाँ भी लुटा सा लगता हे
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