मायूस किस लिए हो उठो बात करते हैं
दुनिया के मसअलों पे चलो बात करते हैं
निय्यत में खोट गरचे तुम्हारी नहीं है दोस्त
क्यों भागे जा रहे हो रुको बात करते हैं
तुम को किसी भी बात पे क़ाबू नहीं रहा
पहले तो अपनी हद में रहो बात करते हैं
कुछ ऐसा करते हैं कि वो ख़ामोश ही रहे
ज़ख़्मों पे ज़ख़्म दिल को न दो बात करते हैं
तुम ने ये कैसे सोचा कि सर पर बिठाएँगे
दुख-दर्द अपने नाम करो बात करते हैं
ऐ ग़म ज़माने बाद ख़ुशी मिलने आई है
क्यों दरमियाँ हो अपने हटो बात करते हैं
मसरूफ़ हर कोई है यहाँ जानते हैं हम
फ़ुर्सत हो अपने पास मिलो बात करते हैं
गिर कर सँभलना इतना कहाँ सहल है 'नज़र'
छोड़ो रविश ये टेढ़ी सुनो बात करते हैं
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