मैं तेरी आँख में ये क्या तलाश करता हूँ
मैं तेरी आँख में ये क्या तलाश करता हूँ
भँवर के बीच किनारा तलाश करता हूँ
मैं इक सुकून का लम्हा तलाश करता हूँ
उदासियों में भी रस्ता तलाश करता हूँ
जो मेरी आँख से ओझल कभी नहीं होता
उसे मैं सब से ज़ियादा तलाश करता हूँ
इसी लिए तो कभी ढूँड ही नहीं पाया
हर एक शख़्स में ख़ुद सा तलाश करता हूँ
जो मेरे हाथ से बचपन में खो गया था मियाँ
मैं आज भी वही बस्ता तलाश करता हूँ
बिछड़ने लगता है कोई ज़रा ज़रा कर के
फिर उस को सारे का सारा तलाश करता हूँ
तलाश करते हुए भूल जाता हूँ ख़ुद को
कभी कभी तुझे इतना तलाश करता हूँ
यहीं कहीं कभी बैठा हुआ था मैं 'ताबिश'
सो तय किया कि दोबारा तलाश करता हूँ
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