मेरी तरह सुकूँ के तलबगार तुम भी हो
मेरी तरह सुकूँ के तलबगार तुम भी हो
बीमार मैं अगर हूँ तो बीमार तुम भी हो
मैं दिल का शाहज़ादा हूँ तुम रानी हुस्न की
मैं हूँ अगर अमीर तो ज़रदार तुम भी हो
भूले से भी न आए किसी रोज़ मेरे घर
मैं कैसे मान लूँ कि मिलनसार तुम भी हो
दुनिया में कोई भी न रहे दर्द का शिकार
ग़म बाँट लो किसी का जो ग़म-ख़्वार तुम भी हो
इक दूसरे पे रखते हैं दोनों कड़ी नज़र
चालाक मैं अगर हूँ तो हुशियार तुम भी हो
सरहद पे अपनी जान लुटाने का वक़्त है
आओ अगर वतन के वफ़ादार तुम भी हो
दुनिया से लड़ तो सकता था लेकिन लड़ूँगा क्या
औरों के साथ दरपए-आज़ार तुम भी हो
तेशा उठा लिया है तो फिर कैसे बख़्श दूँ
औरों की तरह राह में दीवार तुम भी हो
आँखें तो कह रही हैं कि बस जी रहे हो तुम
गोया ख़ुद अपनी ज़ीस्त से बेज़ार तुम भी हो
दामन-कुशाई क्या करें बंदों के सामने
'अहसन' मुझे यक़ीं है कि ख़ुद्दार तुम भी हो
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