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कब तलक ये सितम उठाइएगा

मीर तक़ी मीर

कब तलक ये सितम उठाइएगा

मीर तक़ी मीर

MORE BYमीर तक़ी मीर

    कब तलक ये सितम उठाइएगा

    एक दिन यूँही जी से जाइएगा

    शक्ल तस्वीर-ए-बे-ख़ुदी कब तक

    कसो दिन आप में भी आइएगा

    सब से मिल चल कि हादसे से फिर

    कहीं ढूँडा भी तो पाइएगा

    मूए हम असीरी में तो नसीम

    कोई दिन और बाव खाइएगा

    कहियेगा उस से क़िस्सा-ए-मजनूँ

    या'नी पर्दे में ग़म सुनाइएगा

    उस के पा-बोस की तवक़्क़ो' पर

    अपने तीं ख़ाक में मिलाइएगा

    उस के पाँव को जा लगी है हिना

    ख़ूब से हाथ उसे लगाइएगा

    शिरकत-शैख़-ओ--बरहमन से 'मीर'

    का'बा-ओ-दैर से भी जाइएगा

    अपनी डेढ़ ईंट की जद्दी मस्जिद

    किसी वीराने में बनाइयेगा

    स्रोत :
    • पुस्तक : मीरियात - दीवान नंo- 1, ग़ज़ल नंo- 0098

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