मिरी ख़ल्वतों की समाअ'तें तिरी गुफ़्तुगू को तरस गईं
मिरे रत-जगे हैं उरूज पर मिरे पास आ कोई बात कर
मिरे गुल हैं मुझ से ख़फ़ा ख़फ़ा मिरी निकहतें हैं निहाँ निहाँ
मैं उदास हूँ मिरे दीदा-वर मिरे पास आ कोई बात कर
मिरे जिस्म में मिरी रूह में है तिरे ही दम से ये ताज़गी
मिरे पास आ मिरे चारागर मिरे पास आ कोई बात कर
मैं निढाल हूँ तिरे हिज्र में मिरी चश्म-ए-तर तिरी मुंतज़िर
है ये ज़िंदगी बड़ी मुख़्तसर मिरे पास आ कोई बात कर
मैं हूँ कर्ब में मैं हूँ जाँ-ब-लब मिरी तिश्नगी को बुझा भी दे
कि हलक़ मिरा हो ज़रा सा तर मिरे पास आ कोई बात कर
मिरे दिल जिगर हुए सोख़्ता मिरी रूह भी हुई मुज़्तरिब
मिरे हाल-ए-ज़ार पे रहम कर मिरे पास आ कोई बात कर
ગુજરાતી ભાષા-સાહિત્યનો મંચ : રેખ્તા ગુજરાતી
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