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मिरी नज़र बस मिरी नज़र थी मगर तुम्हारी नज़र से पहले

नज़ाक़तुल्लाह खां फ़ैज़ी खां फ़ैज़ी

मिरी नज़र बस मिरी नज़र थी मगर तुम्हारी नज़र से पहले

नज़ाक़तुल्लाह खां फ़ैज़ी खां फ़ैज़ी

MORE BYनज़ाक़तुल्लाह खां फ़ैज़ी खां फ़ैज़ी

    मिरी नज़र बस मिरी नज़र थी मगर तुम्हारी नज़र से पहले

    वजूद से अपने बे-ख़बर था मगर तुम्हारी ख़बर से पहले

    ये शब की तारीकियाँ भी कब से तिरे ही जल्वे की मुंतज़िर हैं

    मगर ख़ुर्शीद-ए-ताबाँ तेरी ज़िया हो क्यूँकर सहर से पहले

    रहे हो पाबंद रस्म-ए-कोहना के मय-कदे में भी तुम वगर्ना

    निगाह-ए-साक़ी में था इशारा बताओ दूँ मैं किधर से पहले

    हुजूम है मय-कशों का साक़ी तिरी भी दरिया-दिली की ख़ातिर

    हर एक लब पर यही सदा है इधर से पहले इधर से पहले

    जहाँ को हम ने लहू से अपने ये बज़्म-आराइयाँ अता कीं

    कहाँ थी ये रौशनी बताओ हमारे ख़ून-ए-जिगर से पहले

    नगर हुआ जल के ख़ाक सारा किसे ख़बर है ख़याल किस को

    हमें पता है तो सिर्फ़ इतना लगी थी आग अपने घर से पहले

    चलूँगा मैं साथ कारवाँ के मगर ज़रा ठहर जाओ 'फ़ैज़ी'

    कहाँ लुटेगा ये कारवाँ फिर ये पूछ लूँ राहबर से पहले

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