न भूला जाएगा तुम से गम-ए-बे-इंतिहा मेरा
न भूला जाएगा तुम से गम-ए-बे-इंतिहा मेरा
रहेगा दर्द बन कर दिल में एहसास-ए-वफ़ा मेरा
सलामत है ये जब तक जज़्बा-ए-ज़ौक़-ए-रसा मेरा
बिगाड़ेगी भला क्या ये ज़माने की हवा मेरा
तजल्ली हुस्न-ए-ज़ेबा की बहारें रू-ए-रौशन की
इन्हीं रंगीनियों में दिल भी शायद खो गया मेरा
तुम्हीं पर छोड़ता हूँ मुंसिफ़ी जुर्म-ए-मोहब्बत की
न रास आएगा ऐसी कश्मकश में फ़ैसला मेरा
मुझे बर्बाद होने में तअम्मुल कुछ नहीं लेकिन
कोई मंशा-ए-बर्बादी तो समझा दे ज़रा मेरा
तुम्हें आना पड़ेगा आख़िरी दीदार-ए-मय्यत पर
तुम अपनी आँख से देखोगे अंजाम-ए-वफ़ा मेरा
फ़ज़ा-ए-ख़ातिर-ए-ग़मगीं से वीरानी छलकती है
कोई मुँह देख ले ऐ 'ज़ेब' हंगाम-ए-फ़ना मेरा
- पुस्तक : Nigar Khane (पृष्ठ 50)
- रचनाकार : Mata Prashad Istihana Zeb Brelavi
- प्रकाशन : Abdul bari aasii Acadami alatosh Road, Lucknow (1966)
- संस्करण : 1966
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