नहीं बद भी नहीं अच्छा अगरचे
नहीं बद भी नहीं अच्छा अगरचे
उसे समझी नहीं दुनिया अगरचे
मगर हम सहते सहते सह गए हैं
जुदाई थी बड़ा सदमा अगरचे
दुकाँ पर बैठते तो हैं तुम्हारी
नहीं लेते हैं हम सौदा अगरचे
मगर फिर भी बहुत बिखरा पड़ा हूँ
किया ख़ुद को बहुत यकजा अगरचे
तुम्हारे काम आने का नहीं है
तुम्हारे पास है पैसा अगरचे
मगर तुम सा कहाँ से मिल सकेगा
यहाँ हर कोई है तुम सा अगरचे
मगर हम लाज़िमन पूछेंगे उस को
हमें उस ने नहीं पूछा अगरचे
मगर हर बार तोड़ी तेरी ख़ातिर
बहुत हम ने भी की तौबा अगरचे
है मेरे साथ लश्कर वसवसों का
ब-ज़ाहिर हूँ बहुत तन्हा अगरचे
मगर इस में नहीं है लौ ज़रा भी
मिरी आँखों का है तारा अगरचे
मगर इस पर गुज़ारा है हमारा
तुम्हारा प्यार है थोड़ा अगरचे
मगर रुस्वाई के ज़ुमरे में है वो
हर इक सू है तिरा चर्चा अगरचे
मगर खाना है मजबूरी हमारी
मोहब्बत है निरा धोका अगरचे
बता देते हैं चेहरे की ज़बानी
हमारे लब पे है ताला अगरचे
चलो अपना शरीक-ए-रिज़्क़ तो है
नहीं वो काम का बंदा अगरचे
हमें सैराब करने से है क़ासिर
हमारे दिल में है दरिया अगरचे
उसे फिर भी न हासिल कर सके हम
हमारी दस्तरस में था अगरचे
नहीं ठहरा वो ठहरा ही नहीं है
किया हम ने बहुत गिर्या अगरचे
मगर अच्छी तरह कब देख पाए
उसे हम ने बहुत घूरा अगरचे
त'अल्लुक़ बे-रुख़ी का तो है मौजूद
नहीं उन से मिरा रिश्ता अगरचे
चलाता है ख़ुदा-ए-पाक 'नामी'
ज़ियादा है मिरा ख़र्चा अगरचे
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