नज़र भर कर वो क्या तुझ को दिल-ए-दिल-गीर देखेंगे
नज़र भर कर वो क्या तुझ को दिल-ए-दिल-गीर देखेंगे
मोहम्मद बिल हसन शरार
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नज़र भर कर वो क्या तुझ को दिल-ए-दिल-गीर देखेंगे
वो जब देखेंगे अपने हुस्न की तस्वीर देखेंगे
बड़ी हसरत से तुझ को आसमान-ए-पीर देखेंगे
गिरफ़्तारी हमारी हम जो बे-तक़सीर देखेंगे
मआल-ए-हसरत-ए-नाकामी-ए-दिल सामने होगा
किताब-ए-इश्क़ में जब इश्क़ की तफ़्सीर देखेंगे
अगर चश्म-ए-करम-परवर से देखें रो पड़ें फ़ौरन
हमारी ख़स्ता-हाली की अगर तस्वीर देखेंगे
रहेगा पा-ए-वहशत-आश्ना इक ख़्वाब की सूरत
बड़ी हसरत से जब वो ख़ाना-ए-ज़ंजीर देखेंगे
निगाहों में किसी का हुस्न-ए-आलमगीर ही होगा
हवस दस्त-ए-ज़ुलेख़ा की जो दामन-गीर देखेंगे
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