निगाह-ए-इश्क़ उठ गई जिधर जिधर जहाँ-जहाँ
निगाह-ए-इश्क़ उठ गई जिधर जिधर जहाँ-जहाँ
हरीम-ए-हुस्न बे-हिजाब उधर उधर वहाँ वहाँ
ख़ुद अपनी ही तजल्लियों में मिल गया निशान-ए-हक़
भटकती जाने ये नज़र किधर किधर कहाँ कहाँ
चराग़ बन के ज़ुल्मतों को नूर में बदल गया
मिरा वजूद-ए-ज़ौ-फ़िशाँ सहर सहर अज़ाँ अज़ाँ
मैं रंग रंग रूप रूप छाँव छाँव धूप धूप
मैं बाम-ओ-दर मकाँ मकाँ असर असर ज़माँ ज़माँ
सुकूँ कहाँ है क़ल्ब को फ़िराक़ हो कि वस्ल हो
जिगर जिगर तपाँ तपाँ नज़र नज़र धुआँ धुआँ
ज़-फ़र्क़ ता-क़दम सितम क़यामती ही दम-ब-दम
वो अबरू-ओ-मिज़ा बहम तबर तबर सिनाँ सिनाँ
नदी की तरह चढ़ के क्यों जवानियाँ उतर गईं
फ़साना-ए-हयात भी ख़बर ख़बर गुमाँ गुमाँ
चमन चमन था नग़्मा-ज़न तरब-नवा-ए-अंजुमन
ये आज क्या हुआ जो है बशर बशर फ़ुग़ाँ फ़ुग़ाँ
अज़ल से जो नसीब है वो हर-नफ़स क़रीब है
हवस फिरा रही है क्यों डगर डगर कशाँ कशाँ
है रुस्तख़ेज़-ए-इश्क़ ख़ुद सुराग़-ए-मंज़िल-ए-अबद
ख़िरद की हीला-जूई में ख़तर ख़तर अयाँ अयाँ
मैं 'बर्क़'-ए-कज-कुलाह हूँ फ़क़ीर-ए-ख़ानक़ाह हूँ
पुकारते हैं क्यों मुझे खंडर खंडर निशाँ निशाँ
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.