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फूल महके हुए हैं घर ख़ामोश

नसीम अजमल

फूल महके हुए हैं घर ख़ामोश

नसीम अजमल

MORE BYनसीम अजमल

    फूल महके हुए हैं घर ख़ामोश

    चाँदनी है इधर उधर ख़ामोश

    शोर उट्ठा था थोड़ा आँखों में

    हो गई फिर ये रहगुज़र ख़ामोश

    चीख़ता फिर रहा था गलियों में

    मुझ में कर हुआ है डर ख़ामोश

    कौन उन रास्तों से गुज़रा है

    मंज़रों के परे नज़र ख़ामोश

    जा-ब-जा मिल रहे हैं किस के निशाँ

    ख़्वाब हैराँ डगर डगर ख़ामोश

    दूर तक सिर्फ़ गर्द फैली है

    रास्ते चुप हैं और शजर ख़ामोश

    हादसे किस की राह तकते हैं

    किस लिए है ये रह-गुज़र ख़ामोश

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