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समझ में कुछ नहीं आता मोआमला दिल का

सय्यद अहमद हुसैन शफ़ीक़ लखनवी

समझ में कुछ नहीं आता मोआमला दिल का

सय्यद अहमद हुसैन शफ़ीक़ लखनवी

MORE BYसय्यद अहमद हुसैन शफ़ीक़ लखनवी

    समझ में कुछ नहीं आता मोआमला दिल का

    हुज़ूर आएँ तो हो जाए फ़ैसला दिल का

    तड़प जो बढ़ गई माशूक़ों ने जिगर थामे

    असर दिखाया तो होने लगा गिला दिल का

    ये उन से कहता है हँस हँस के उन का दीवाना

    दिखाऊँगा तुम्हें इक रोज़ हौसला दिल का

    करीम तू मिरी मक़्तल में आबरू रखना

    कि उन के तीर से होगा मुक़ाबला दिल का

    तुम्हारी ज़ुल्फ़ के कूचे में डर है लुटने का

    अँधेरी रात है जाता है क़ाफ़िला दिल का

    किसी के नावक-ए-मिज़्गाँ ने की ख़लिश पैदा

    कि फूट फूट के रोता है आबला दिल का

    निकाला चारागरों ने अजब क़यामत की

    कि उन के तीर से रहता था मश्ग़ला दिल का

    अभी तो ता-ब-कमर है तुम्हारी ज़ुल्फ़-ए-रसा

    बढ़े जो और तो मिल जाए सिलसिला दिल का

    हवा के साथ ज़माने में आएगा तूफ़ाँ

    जो साँस लेने में फूटेगा आबला दिल का

    है उन का तीर भी वो भी हैं मैं भी हाज़िर हूँ

    ख़ुदा के सामने होता है फ़ैसला दिल का

    उसी के दर पे चलो मौत भी वहीं आए

    ये मुझ से कहता है बढ़ बढ़ के हौसला दिल का

    'शफ़ीक़' ज़ोर-ए-जवानी की हद नहीं कोई

    किसी के रोके से रुकता है वलवला दिल का

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