सर-ए-बज़्म उँगली उठाने से पहले
सर-ए-बज़्म उँगली उठाने से पहले
ख़ुद आईना देखो दिखाने से पहले
न आवाज़ दूँगा ज़रा सोच ले तू
अकेला मुझे छोड़ जाने से पहले
दुआओं में अपनी तू कर मुझ को शामिल
तू मेरी दुआओं में आने से पहले
क्यों कहता ज़माना दिवाना तुम्हें भी
न मिलते अगर इस दिवाने से पहले
सियासत ने उस को बचा कर ही रक्खा
वही आग लेकिन बुझाने से पहले
समझ ले ये दुनिया बड़ी संग-दिल है
तबस्सुम लबों पर सजाने से पहले
समझ ले ग़ज़ल का तू रंग-ए-तग़ज़्ज़ुल
ग़ज़ल अपनी 'इरफ़ाँ' सुनाने से पहले
- पुस्तक : حاشیےمیں نیکیاں (पृष्ठ 43)
- रचनाकार : عرفانؔ شاہ نوری
- प्रकाशन : الفاظ پبلی کیشن، کامٹی (2021)
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