शाम से पहले लौट आने की बात करो
शाम से पहले लौट आने की बात करो
इन लोगों को टर्ख़ाने की बात करो
मेरे लिए ता'मीर करो क्यों ताज-महल
मेरे लिए इक काशाने की बात करो
आए हो तो बैठ ही जाओ फ़ुर्सत से
अब न कभी वापस जाने की बात करो
उन आँखों को मिस्ल-ए-सितारा भी न कहो
जाम की मय की पैमाने की बात करो
वो तो महल्ले तक आने से थे बेज़ार
उन को अपने घर लाने की बात करो
हम को अपने आप से लोगो बैर नहीं
तुम ही उन के शरमाने की बात करो
साथ किसी दिन ठहरोगे तन्हाई में
फिर न मुझे तुम बहलाने की बात करो
मैं इस शहर में आया था बेगाना था
मुझ को कभी तुम अपनाने की बात करो
आते जाते अपनी उम्र कटी 'ईरज'
अब कोई दिन सुस्ताने की बात करो
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