शोर करता है जो दिल उस का बदल कहने दे
शोर करता है जो दिल उस का बदल कहने दे
काम सौ कर लिए अब यार ग़ज़ल कहने दे
ख़स्ता-हाली को तिरी मान लिया ठीक है चल
गुल नहीं तो मुझे तुझ को तू कँवल कहने दे
साथ हैं हम तो कहेंगे ही कई बातें लोग
कहने वालों को हटा यार निकल कहने दे
वो मोहब्बत है वो ही उस की निशानी है 'अज़ीज़'
इस लिए मुझ को उसे ताज-महल कहने दे
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