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तन से जाँ का क़दम निकलता है

मीर कल्लू अर्श

तन से जाँ का क़दम निकलता है

मीर कल्लू अर्श

MORE BYमीर कल्लू अर्श

    तन से जाँ का क़दम निकलता है

    अब कोई दम में दम निकलता है

    सैर कर इंक़िलाब-ए-आलम की

    ठेकरा ले के जम निकलता है

    परी शब जो हूर को देखा

    तेरा अंदाज़ कम निकलता है

    ख़ल्क़ मरती है कू-ए-क़ातिल में

    तौर-ए-मुल्क-ए-अदम निकलता है

    छोड़ बुत-ख़ाने को तिरे हाथों

    बरहमन सनम निकलता है

    कूचा-ए-ज़ुल्फ़ से तिरे बुत

    बच के शैख़-ए-हरम निकलता है

    साफ़ हूर तेरे कूचे में

    रंग-ए-बाग़-ए-इरम निकलता है

    जान-ए-जाँ तुझ पे जान जाती है

    दम निकलता है दम निकलता है

    तेग़-ए-क़ातिल है 'अर्श' ज़हर-आलूद

    मेरे ज़ख़्मों से सम निकलता है

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