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तसव्वुर में सजा कर ख़ुशनुमा तस्वीर रखते हैं

सईद अहसन

तसव्वुर में सजा कर ख़ुशनुमा तस्वीर रखते हैं

सईद अहसन

MORE BYसईद अहसन

    तसव्वुर में सजा कर ख़ुशनुमा तस्वीर रखते हैं

    हम अपने ख़्वाब की दहलीज़ पे ता'बीर रखते हैं

    बनी है किस तरह जन्नत जहन्नुम इक नज़र देखो

    तुम्हारे सामने हम वादी-ए-कश्मीर रखते हैं

    वो सरकश है अगर मौक़ा मिले फ़ित्ना खड़ा कर दे

    हम अपने नफ़्स को पा-बस्ता-ए-ज़ंजीर रखते हैं

    है अपना हर अमल तक़दीर की आँधी से शर्मिंदा

    अगरचे हम जला कर मशअ'ल-ए-तदबीर रखते हैं

    गिरेगी बिल-यक़ीं सर पर किसी दिन छत मसाइब की

    अगर हम हौसलों के खोखले शहतीर रखते हैं

    मकीन-ए-क़स्र हो कर तुम सुकून-ए-दिल नहीं रखते

    यहाँ हम हो के बे-घर चैन की जागीर रखते हैं

    किसी के दिल में क्या है चेहरे से ज़ाहिर नहीं होता

    वो अंदर और बाहर मुख़्तलिफ़ तस्वीर रखते हैं

    ज़माना एटमी हथियार से है लैस लेकिन हम

    घरों में ज़ंग-आलूदा वही शमशीर रखते हैं

    हमें कोताह-फ़हमी एक पल भाती नहीं 'अहसन'

    हमारी सोच रौशन है बहुत तनवीर रखते हैं

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