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तेरे जाने से हुआ दिल दश्त-ए-वीराँ की तरह

अशरफ़ अशहर

तेरे जाने से हुआ दिल दश्त-ए-वीराँ की तरह

अशरफ़ अशहर

MORE BYअशरफ़ अशहर

    तेरे जाने से हुआ दिल दश्त-ए-वीराँ की तरह

    शहर सारा लगता है उजड़े गुलिस्ताँ की तरह

    मैं ने माँगा है दु'आओं में तुम्हें तक़दीर से

    तुम दिल-ओ-जाँ में बसे हो जान-ए-जानाँ की तरह

    क़ल्ब-ए-मुज़्तर में तिरे दीदार की हसरत लिए

    बस तिरी दहलीज़ पर बैठा हूँ दरबाँ की तरह

    मैं ने क्या क्या ख़्वाब देखे हैं तुम्हारी दीद के

    बाम पर आओ कभी तुम माह-ए-ताबाँ की तरह

    ग़ैर को बोसा-ज़नी करते हुए देखा है जब

    आइना तकता रहा हूँ मैं पशेमाँ की तरह

    रस्म-ए-उल्फ़त से नहीं हो आश्ना तुम बेवफ़ा

    तुम वफ़ा भी करते हो तो एक एहसाँ की तरह

    क्या बताऊँ कैसे समझाऊँ मसाइल कितने हैं

    ज़िंदगी उलझी हुई है ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ की तरह

    हरसू रंज-ओ-ग़म का 'आलम और अफ़रा-तफ़री है

    शोर बरपा है यहाँ शाम-ए-ग़रीबाँ की तरह

    सारी दुनिया देखी मैं ने जस्ता जस्ता बा-ख़ुदा

    कोई चेहरा ही नहीं आया नज़र माँ की तरह

    ज़िंदगी ने ऐसी करवट ली है 'अशहर' क्या कहूँ

    अब तो अपने घर में भी रहता हूँ मेहमाँ की तरह

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