तेरी ख़ुशियों की ख़ातिर मैं कितनी मेहनत करता हूँ
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तेरी ख़ुशियों की ख़ातिर मैं कितनी मेहनत करता हूँ
ताहिर सऊद किरतपूरी
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तेरी ख़ुशियों की ख़ातिर मैं कितनी मेहनत करता हूँ
ख़्वाबों को दीवारें और ता'बीरों को छत करता हूँ
हिज्र के दुख को सुख करना मुश्किल ही क्या ना-मुम्किन है
लेकिन मैं इस ज़हर को आसानी से शर्बत करता हूँ
पहले तो मैं सब से ज़ियादा ख़ुद से मोहब्बत करता था
लेकिन अब मैं सब से ज़ियादा ख़ुद से नफ़रत करता हूँ
मेरी मजबूरी पर शायद मजबूरी भी चीख़ पड़े
मैं बद-क़िस्मत दस्त-ए-तन्हाई पर बै'अत करता हूँ
कितनी संजीदा-नज़री से देख रहे हैं ख़ार-ओ-गुल
मैं कमरे के आईनों की यूँ भी 'इज़्ज़त करता हूँ
दुनिया की फ़ितरत है जूते खा कर 'इज़्ज़त करती है
मैं ठहरा फिर ख़ादिम बंदा डट कर ख़िदमत करता हूँ
कैसे किसी ओहदे पर पहुँचूँ कैसे गगन का चाँद बनूँ
न मैं सियासत सह पाता हूँ न मैं सियासत करता हूँ
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