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उस का वादा ता-क़यामत कम से कम

सबा अकबराबादी

उस का वादा ता-क़यामत कम से कम

सबा अकबराबादी

MORE BYसबा अकबराबादी

    उस का वादा ता-क़यामत कम से कम

    और यहाँ मरने की फ़ुर्सत कम से कम

    सह सके दर्द-ए-मोहब्बत कम से कम

    दिल में इतनी तो हो ताक़त कम से कम

    इस की यादों से कहाँ है दुश्मनी

    शम्अ जलती शाम-ए-फ़ुर्क़त कम से कम

    उस के मिलने से होती रौशनी

    घट तो जाती ग़म की ज़ुल्मत कम से कम

    देखने से उन के ये हासिल हुआ

    हो गई अपनी ज़ियारत कम से कम

    उस के ख़त में और सब कुछ था मगर

    सिर्फ़ मतलब की इबारत कम से कम

    दर्द देने के वहाँ सामाँ बहुत

    और तड़पने की इजाज़त कम से कम

    क्यूँ ग़म-ए-दौराँ ज़ियादा मिल गया

    थी हमें जिस की ज़रूरत कम से कम

    ख़ैर तुम से दोस्ती मुश्किल सही

    रहने दो साहिब-सलामत कम से कम

    देख कर उन को ये अंदाज़ा हुआ

    होगी ऐसी ही क़यामत कम से कम

    दौलत-ए-ग़म की फ़रावानी सही

    दामन-ए-दिल में है वुसअत कम से कम

    ग़म नहीं जो चंद यादें साथ थीं

    कर तो ली दिल की हिफ़ाज़त कम से कम

    सीना-चाकी उम्र भर की है 'सबा'

    ज़ख़्म सिलने की थी मुद्दत कम से कम

    स्रोत :
    • पुस्तक : Mere Hisse Ki Roshni (पृष्ठ 82)
    • रचनाकार : Saba Akbarabadi
    • प्रकाशन : Educational Publishing House (2007)
    • संस्करण : 2007

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