वो दिल है हेच दर्द-ए-मोहब्बत अगर न हो
वो दिल है हेच दर्द-ए-मोहब्बत अगर न हो
महाराजा सर किशन परसाद शाद
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वो दिल है हेच दर्द-ए-मोहब्बत अगर न हो
किस काम का वो दर्द अगर चश्म तर न हो
काबा हो या कि दैर हो वो या कुनिश्त हो
वीराँ वो घर है जिस में कि तेरा गुज़र न हो
फ़रियाद ही नहीं है ये बेताबी-ए-फ़िराक़
मुमकिन नहीं कि नाले में मेरे असर न हो
आते हो दिल में तुम मिरी आँखों की राह से
तदबीर ख़ूब है कि किसी को ख़बर न हो
मशग़ूल-ए-ज़िक्र चाहिए हर दम रहे ये दिल
इक लम्हा उस की याद से तू बे-ख़बर न हो
चाहे ज़माना 'शाद' से रूठे नहीं ख़तर
सारा जहाँ हो इस का अदू तू मगर न हो
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