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वो हर तरह से हमें बेवफ़ा समझते हैं

अफ़सर दकनी

वो हर तरह से हमें बेवफ़ा समझते हैं

अफ़सर दकनी

MORE BYअफ़सर दकनी

    वो हर तरह से हमें बेवफ़ा समझते हैं

    ख़ुदा ही जाने कि वो हम को क्या समझते हैं

    हम उन के दर्द की गहराइयों में डूबे हैं

    समझने वाले हमें जाने क्या समझते हैं

    हैं ऐसी कौन सी मजबूरियाँ ख़ुदा जाने

    क़रीब रह के भी हम को जुदा समझते हैं

    वो अब शिकार ग़लत-फ़हमियों का हैं शायद

    दु'आ करें भी तो वो बद-दु'आ समझते हैं

    सुबूत चाहिए अब क्या वफ़ा-परस्ती का

    वो ज़हर दें तो हम उस को दवा समझते हैं

    हमारे नाम जो भेजा है उस ने ख़त 'अफ़सर'

    हम अपने दिल का उसे मुद्द'आ समझते हैं

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