वो कर रहा है वफ़ाएँ मगर जफ़ा की तरह
वो कर रहा है वफ़ाएँ मगर जफ़ा की तरह
ये ज़ीस्त कट तो रही है मगर सज़ा की तरह
मरीज़-ए-हिज्र-ए-मोहब्बत समझ न पाए इसे
पिलाओ ज़हर पिलाओ मगर दवा की तरह
दराज़ मेरे गुनाहों का सिलसिला है मगर
तिरे करम के मुक़ाबिल हूँ बे-ख़ता की तरह
सुनी न पाँव की आहट मिरी समाअ'त ने
वो आए आ के चले भी गए हवा की तरह
हर एक शख़्स के चेहरे पे एक चेहरा है
कि आज लगता है रहज़न भी रहनुमा की तरह
ये मेरे दिल की तमन्ना है आख़िरी 'माहिर'
तू मेरे साथ रहे हर क़दम दुआ की तरह
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