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यास-ओ-ग़म में ऐ मिलन की आस के आँसू चमक

कृष्ण मोहन

यास-ओ-ग़म में ऐ मिलन की आस के आँसू चमक

कृष्ण मोहन

MORE BYकृष्ण मोहन

    यास-ओ-ग़म में मिलन की आस के आँसू चमक

    'अक़्ल की ज़ुल्मत में एहसास के जुगनू चमक

    दिल रहीन-ए-यास है महसूस होती हैं उदास

    चाँदनी शोख़ी हया शबनम अदा ख़ुशबू चमक

    फीकी फीकी बे-मज़ा बे-नूर सी है ज़िंदगी

    'अक़्ल की शोख़ी दमक हुस्न के जादू चमक

    अपनी चंचलता से मेरे प्यार को चमका गई

    तेरे अलबेले नशीले रूप की दिल-जू चमक

    हार कर तदबीर ने तक़दीर से कह ही दिया

    मान भी जा मैं तो चमकी हूँ बहुत अब तू चमक

    ज़िंदगी में हो कभी तो कोई हंगामा बपा

    जज़्बा-ए-आवारा-ओ-शोख़-ए-दिल-ए-यकसू चमक

    ऐसे चमकाता है क़ल्ब-ए-ज़ार को तेरा ख़याल

    जैसे दश्त-ए-तीरा को दे दीदा-ए-आहू चमक

    चीरना है बे-हिसी की गहरी ज़ुल्मत को तुझे

    और अभी इस तौर से दश्ना-ए-अबरू चमक

    तेरे तेवर ज़ेवर-ए-एहसास हैं अल्मास हैं

    याद के कोहरे में सोज़-ओ-काविश-ए-पहलू चमक

    फ़ुसून-ए-राज़ जल्वत-साज़ ख़ल्वत-नवाज़

    प्यार की आवाज़ पा-ए-नाज़ के घुंघरू चमक

    'कृष्ण-मोहन' के दुखी मन पर अंधेरा छा गया

    रूप की धूप बिरह के दर्द की दारू चमक

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