यास-ओ-ग़म में ऐ मिलन की आस के आँसू चमक
यास-ओ-ग़म में ऐ मिलन की आस के आँसू चमक
'अक़्ल की ज़ुल्मत में ऐ एहसास के जुगनू चमक
दिल रहीन-ए-यास है महसूस होती हैं उदास
चाँदनी शोख़ी हया शबनम अदा ख़ुशबू चमक
फीकी फीकी बे-मज़ा बे-नूर सी है ज़िंदगी
'अक़्ल की शोख़ी दमक ऐ हुस्न के जादू चमक
अपनी चंचलता से मेरे प्यार को चमका गई
तेरे अलबेले नशीले रूप की दिल-जू चमक
हार कर तदबीर ने तक़दीर से कह ही दिया
मान भी जा मैं तो चमकी हूँ बहुत अब तू चमक
ज़िंदगी में हो कभी तो कोई हंगामा बपा
जज़्बा-ए-आवारा-ओ-शोख़-ए-दिल-ए-यकसू चमक
ऐसे चमकाता है क़ल्ब-ए-ज़ार को तेरा ख़याल
जैसे दश्त-ए-तीरा को दे दीदा-ए-आहू चमक
चीरना है बे-हिसी की गहरी ज़ुल्मत को तुझे
और अभी इस तौर से ऐ दश्ना-ए-अबरू चमक
तेरे तेवर ज़ेवर-ए-एहसास हैं अल्मास हैं
याद के कोहरे में सोज़-ओ-काविश-ए-पहलू चमक
ऐ फ़ुसून-ए-राज़ जल्वत-साज़ ऐ ख़ल्वत-नवाज़
प्यार की आवाज़ पा-ए-नाज़ के घुंघरू चमक
'कृष्ण-मोहन' के दुखी मन पर अंधेरा छा गया
रूप की धूप ऐ बिरह के दर्द की दारू चमक
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