Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

यूँ संग-दिल हयात से अहद-ओ-वफ़ा किया

अकबर हैदरी कश्मीरी

यूँ संग-दिल हयात से अहद-ओ-वफ़ा किया

अकबर हैदरी कश्मीरी

MORE BYअकबर हैदरी कश्मीरी

    यूँ संग-दिल हयात से अहद-ओ-वफ़ा किया

    दीवार दरमियाँ थी मगर ख़ुद को वा किया

    मिट्टी का रंग-ओ-नूर से रिश्ता क़दीम था

    हर बार ज़िंदगी ने नया तजरबा किया

    थे दस्तरस में यूँ तो सब असरार-ए-काएनात

    इस उम्र-ए-बेवफ़ा ने मगर ना-रसा किया

    हर अजनबी मक़ाम से तन्हा गुज़र गए

    अपना ही नक़्श-ए-पा था जिसे रहनुमा किया

    चमका दिया लहू ने दिल-ए-तीरा-जिस्म को

    इक सैल-ए-नूर था कि रगों में बहा किया

    दानिस्ता लुट गया ये समन-ज़ार देखना

    फूलों ने निकहतों को सिपुर्द-ए-सबा किया

    ये रात रौशनी की तमन्ना में बुझ गई

    दिल को ये किस शिकस्त ने बे-मुद्दआ किया

    यूँ तो जहाँ तमाम है तूफ़ान-ए-रंग-ओ-नूर

    किस आबशार ने हमें रंगीं-नवा किया

    स्रोत :
    • पुस्तक : Namuu kii aaG (पृष्ठ 65)
    • रचनाकार : Akbar Hayderabadi
    • प्रकाशन : Sima Publications, New Delhi (1981)
    • संस्करण : 1981

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए