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ज़ियाँ है जान का ये कारोबार मत करना

मुसव्विर सब्ज़वारी

ज़ियाँ है जान का ये कारोबार मत करना

मुसव्विर सब्ज़वारी

MORE BYमुसव्विर सब्ज़वारी

    ज़ियाँ है जान का ये कारोबार मत करना

    सबा से साए से ख़ुश्बू से प्यार मत करना

    हमें वहाँ के बगूले बने जो कहते थे

    तवाफ़-ए-कूचा-ए-शहर-ए-निगार मत करना

    मैं ढलती धूप की लौ हूँ मिरा भरोसा क्या

    निगाह-ए-शाम मिरा इंतिज़ार मत करना

    ख़ुद तुम्हीं पे कुछ इल्ज़ाम-ए-वक़्त जाए

    हमारा शिकवा-ए-सब्र-ओ-क़रार मत करना

    ये सच है इश्क़ ही साबित-क़दम नहीं मेरा

    मैं कह रहा हूँ मिरा ए'तिबार मत करना

    अभी है कू-ब-कू फिरना तुझे 'मुसव्विर' अभी

    उमीद-ए-साया-ए-दीवार-ए-यार मत करना

    स्रोत :
    • पुस्तक : Manghii dhire chal (पृष्ठ 17)
    • रचनाकार : Musavvir Sabzwari
    • प्रकाशन : Nazish Book Center (1971)
    • संस्करण : 1971

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