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मंज़र हुज़ूर हैं पस-ए-मंज़र हुज़ूर हैं

रज़ा वसफ़ी

मंज़र हुज़ूर हैं पस-ए-मंज़र हुज़ूर हैं

रज़ा वसफ़ी

MORE BYरज़ा वसफ़ी

    मंज़र हुज़ूर हैं पस-ए-मंज़र हुज़ूर हैं

    मेरी निगाह-ओ-फ़िक्र का महवर हुज़ूर हैं

    यकता-ए-'अबदियत हैं रिसालत में एक हैं

    बंदे ख़ुदा के बेहतर-ओ-बरतर हुज़ूर हैं

    रूह-ए-रवान-ए-मौज-ए-इलाह ज़ात आप की

    बहर-ए-उलूहियत के शनावर हुज़ूर हैं

    क़द-आवरों में रोज़-ए-अज़ल से अबद तलक

    क़ुरआन कह रहा है क़द-आवर हुज़ूर हैं

    या'नी हर इक मक़ाम-ए-कमाल-ए-'उरूज पर

    कहती है चश्म-ए-दिल कि बराबर हुज़ूर हैं

    सब मो'तरिफ़ हैं जान की तक़्दीस के मगर

    कहती है जाँ कि जान से बढ़ कर हुज़ूर हैं

    'वसफ़ी' ब-हर-मक़ाम ब-हर-लम्हा हर ज़माँ

    तन्हा हबीब-ए-दावर-ए-महशर हुज़ूर हैं

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