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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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आज इंसान कहाँ है

नियाज़ हैदर

आज इंसान कहाँ है

नियाज़ हैदर

MORE BYनियाज़ हैदर

    मैं हूँ जिस का शायर

    वो इंसान कहाँ है

    सारी दुनिया जिसे मानती रही है

    वो भगवान कहाँ है

    हसीन चेहरे

    फूल और कलियाँ

    झूमती शाख़ें

    दरख़्त आशियाँ

    हरियाली

    नहरें दरिया सागर

    ऊँचे ऊँचे कोहसारों की बुलंदियाँ

    नाचने वाले

    हज़ार-हा रंगीन परिंदे

    शाम सहर को फूलने वाली शफ़क़

    बरखा-रुत की सत-रंगी धनक

    सूरज चाँद सितारे

    रातों को झिलमिलाती कहकशाँ

    जिन के देखे से

    बहल जाएँ दिल

    सुख पाएँ प्रान

    अब वो दिल वो सुख उन प्रानों का

    नाम-ओ-निशाँ कहाँ है

    में हूँ जिस का शायर

    वो इंसान कहाँ है

    सारी दुनिया जिसे मानती रही है

    वो भगवान कहाँ है

    बे-हिसाब सदियों की आँखें

    एक पल में

    अन-गिनत बार झपकती पलकें

    नज़र आने वाली नज़रें

    छाती से बच्चों को लिपटाए हुए माताएँ

    खनक-दार चूड़ियों भरी कलाइयाँ

    जिन पर दूध पिलाती माताओं की

    झुकी हुई शर्मीली आँखें

    आँचलों में छुपे हुए नन्हे नन्हे बालक

    चोरी चोरी माताओं का चेहरा ताकें

    जवानियों के नैनों से प्रीत के चलते बान

    आज उस प्यार भरे

    जवान जियों का अरमान कहाँ है

    मैं हूँ जिस का शायर

    वो इंसान कहाँ है

    वो इंसान कहाँ है

    आज वो अपनी धरती अपने जीवन की बर्बादी की

    तय्यारी में

    वयस़्त है मसरूफ़ है गुम है

    बच्चों के कोमल बदन के टुकड़े

    हथियारों के विधान की झाड़ियों जंगलों में

    ला-वारिस लाशें

    जिन को

    मुरदार-ख़ोर पेट भरे जानवर

    खाए बिना ही गुज़र जाएँ

    फिर खाईं क्यूँकर

    कोई बताए

    कितनी इबादत-गाहें

    मंदिर

    मस्जिद

    गिरजा घर और गुरुद्वारे

    कितनी जल्दी ढाए जा सकते हैं

    या इन सब को हलाकतों के साज़ और असलहों का

    गोदाम बना देना बेहतर है

    बे-गुनाहों का लहू ज़मीन में जज़्ब नहीं हो सकता

    शायद कभी नहीं

    कोई बताए

    कब ये ज़मीं दोबारा शोला-ज़ार बनेगी

    क्या कोई नहीं है

    कोई नहीं?

    जो अपनी ज़मीन को ज़िंदगी की जन्नत बना सके

    इक इंसानी ताक़त

    हिम्मत इक अज़्म के साथ

    देस देस मुल्कों मुल्कों

    मैं इंसान को लल्कारूँगा

    लेकिन मैं हूँ जिस का शायर

    वो इंसान कहाँ है

    सारी दुनिया जिसे मानती रही है वो भगवान कहाँ है?

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