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ब-याद-ए-'जिगर'

मुसतफ़ा राही

ब-याद-ए-'जिगर'

मुसतफ़ा राही

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    हर तरफ़ थी तिरी पुकार जिगर

    हर जगह था तू नग़्मा-बार जिगर

    उम्र भर तो तुझे क़रार था

    आख़िरश गया क़रार जिगर

    सूनी सूनी सी है हर इक महफ़िल

    उजड़ी उजड़ी सी है बहार जिगर

    जब मोहब्बत का ज़िक्र आएगा

    आएगा याद बार-बार जिगर

    रश्क करते थे फूल गुलशन में

    तुझ को काँटों से था वो प्यार जिगर

    शायरी तुझ पे नाज़ करती थी

    और तू उस पे था निसार जिगर

    बे-ख़ुदी तुझ को ज़ेब देती थी

    था ख़ुदी का तू राज़दार जिगर

    हर अदा तेरी एहतिराम-तलब

    हर ग़ज़ल तेरी शाहकार जिगर

    तुझ से शेर-ओ-अदब की अज़्मत थी

    हर जगह तू था बा-वक़ार जिगर

    शग़्ल-ए-मय भी तिरा मिसाली था

    अज़्म-ए-तौबा भी यादगार जिगर

    किस को रोते हैं जाम-ओ-पैमाना

    अल्लह अल्लह तिरा वक़ार जिगर

    अल्लह अल्लाह तेरी हक़-गोई

    तुझ पे रहमत हज़ार बार जिगर

    तेरे दिल में था वो ग़म-ए-इंसाँ

    जिस की हर सम्त है पुकार जिगर

    हर दुखी दिल की तर्जुमानी की

    था सभी का तू ग़म-गुसार जिगर

    नस्ल-ओ-क़ौम-ओ-वतन के हंगामे

    थे बहुत तुझ को नागवार जिगर

    तेरे पैग़ाम तक पहुँचे जो

    वो सियासत है ख़ाम-कार जिगर

    छू गए थे जिन्हें क़दम तेरे

    रास्ते हैं वो यादगार जिगर

    शो'ला-ए-तूर आतिश-ए-गुल हैं

    लाख फ़िरदौस दरकिनार जिगर

    अल्लह अल्लह वो अज़्म-ए-हज तेरा

    रहमत-ए-हक़ से हम-कनार जिगर

    और वो ना'त-ए-पुर-ख़ुलूस तिरी

    वो तिरी रूह की पुकार 'जिगर'

    शर्म-ए-इस्याँ दिल-ए-तपीदा पर

    वो भरोसा वो इंहिसार जिगर

    वो लताफ़त कि दीदा-ओ-दिल का

    गोशा गोशा है पुर-बहार जिगर

    वो जगह भी है प्यार के क़ाबिल

    जिस जगह है तिरा मज़ार जिगर

    भूल सकता नहीं तुझे कोई

    यूँ तो शाइ'र हैं बे-शुमार जिगर

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