एक लम्हा
मैं अपनी ज़िंदगी से एक लम्हे का सवाली हूँ
वो लम्हा जो मिरे नग़्मों को छू कर जावेदाँ कर दे
मिरे दिल को जगा दे रूह के शो'ले जवाँ कर दे
न आँखों में कोई सूरत न कोई नाम होंटों पर
न जाने कौन है जो रूह को बेताब रखता है
सितारों की तरह आ कर बिखर जाता है पलकों पर
न जाने कौन है जो रात-भर बे-ख़्वाब रखता है
तुम्हें देखा तो खिल उठा मिरे ख़्वाबों का आईना
वही नाज़ुक वही मासूम सा चेहरा नज़र आया
तुम्हारे होंट पर बिखरी नज़र आई बहार अपनी
तुम्हारा हुस्न अपनी रूह का हिस्सा नज़र आया
मोहब्बत जब समुंदर बन चुकी तो सोचना कैसा
बहुत मुमकिन है इन लहरों में आ जाए किनारा भी
डुबो दे दो दिलों को इतना ज़ालिम हो नहीं सकता
ये तूफ़ाँ जो मुक़द्दर है तुम्हारा भी हमारा भी
तुम्हारी आँख से टपका नहीं अब तक कोई आँसू
मिरे चारों तरफ़ तूफ़ान बरपा है क़यामत का
मिरी बेताब उम्मीदों को ठुकरा दो कि अपना लो
तुम्हारे फ़ैसले पर फ़ैसला है मेरी क़िस्मत का
पुरानी हो चुकी हैं प्यार के क़दमों की ज़ंजीरें
नए रस्ते पे अपने आप ही सब टूट जाएँगी
हमारे सामने होगी मोहब्बत की नई मंज़िल
मिलेंगे हम तो ये दुनिया की रस्में छूट जाएँगी
ये काला आसमाँ कुछ भी नहीं धोका है पल-भर का
चराग़ाँ ही चराग़ाँ एक दिन महफ़िल में होता है
तड़प कर रूह पे गिरती है यूँ बिजली मोहब्बत की
धुआँ आँखों से उठता है उजाला दिल में होता है
मचलता है जो दिल में और होंटों तक नहीं आता
मोहब्बत की तरह वो गीत भी मासूम होता है
सुनाती है तुम्हारी आँख जब कोई हसीं नग़्मा
तो मुझ को वक़्त भी ठहरा हुआ मालूम होता है
ये प्यासे ख़्वाब ये वीरान शामें और ये तन्हाई
तुम्हारी रूह से बिछड़ा हुआ आवारा साया हूँ
अभी तक मेरे दिल का दर्द पहचाना नहीं तुम ने
जो पलकों पर नहीं आते वो आँसू साथ लाया हूँ
मोहब्बत जब किसी संगम पे मिलती है मोहब्बत से
तो ऐसी लहर आती है कि दुनिया भीग जाती है
सुलगती धड़कनें पलकों से छन छन कर बरसती हैं
ज़बाँ ख़ामोश रहती है नज़र वा'दा निभाती है
तुम आना चाहती हो दिल की धड़कन रोक देती है
ये कैसी कश्मकश है पाँव रुकते हैं न चलते हैं
न इक़रार-ए-तमन्ना है न इंकार-ए-मोहब्बत है
ये कैसे दीप हैं ज़ालिम कि बुझते हैं न जलते हैं
मैं अपनी ज़िंदगी से एक लम्हा छीन लाया हूँ
चुरा कर ज़िंदगी से कोई लम्हा तुम भी ले आओ
मिरे हाथों में इक साज़-ए-मोहब्बत है बहुत दिन से
बहारों का कोई मासूम नग़्मा तुम भी ले आओ
हम इन नग़्मों से इक बहता हुआ दरिया बना डालें
भुला कर सारी दुनिया इक नई दुनिया बना डालें
पराया सा है जो लम्हा उसे अपना बना डालें
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