ख़ाक और धुंद का सफ़र
हम एक मुद्दत से धुंद और ख़ाक में मुअ'ल्लक़
ज़मीं की ख़ुश्बू सहर की आहट को ढूँडते हैं
हमारी बे-ख़्वाब सर्द आँखों में बुझते मौसम की रंगतें टिमटिमा रही हैं
हमारे पैरों के नीचे मिट्टी पिघल के दलदल बनी हुई है
उलझती साँसों की सख़्त गिर्हें
बदन के अंदर खींची हुई हैं
निढाल सदियों के फ़ासलों का सफ़र कि पाँव में पल रहा है
धड़ों के नीचे हमारा साया
हमारे जिस्मों को रेज़ा रेज़ा निगल रहा है
(२)
समुंदरों से हवा लिपट कर नई रुतों का विसाल माँगे
ज़मीं की ख़ुश्बू सहर की आहट के धुँदले ख़्वाबों का अक्स फैले
हमें यक़ीं है हवा के गदले सफ़र से आगे
चमकते लम्हों की रहगुज़र है
नए गुलाबों की सरज़मीं है
हमारे पाँव में आने वाले सफ़र की ख़्वाहिश तड़प रही है
हमारी आँखों में बावले ख़्वाब का नशा है
हम अपने अपने धड़ों के ताबूत से निकल कर
बढ़े कि सूरज का जिस्म छीनें
ज़मीं की ख़ुश्बू का खोज पाएँ
हम एक मुद्दत से सोचते हैं
कि आसमाँ के सियाह पत्थर में अब किरन का शिगाफ़ उतरे
ज़मीं की पाताल से कशिश हो
नए गुलाबों की मस्त ख़ुश्बू बदन में फैले
मगर वही धुंद का सफ़र है
कटी-फटी सर्द उँगलियों पर लहू के जुगनू चमक चमक कर बिखर चुके हैं
रगों के रेशों में ताज़ा ख़्वाहिश की कश्मकश सर्द पड़ चुकी है
धोएँ के फंदे में मरने वालों के नाम ज़ेहनों की तख़्तियों से
उतर रहे हैं
सरों पे कर्ब-ओ-बला के मौसम का सख़्त ख़ेमा खींचा हुआ है
हवा पे लिक्खे हुए हैं नौहे
फ़ज़ा में लटके हुए हैं चेहरे
उफ़ुक़ पे टूटी हुई लकीरें
ज़मीं पे फैले हुए हैं साए
समुंदरों से लिपटने वाली हवा की अन-देखी डोरियों का
कोई सिरा हाथ में नहीं है
हमारी पलकें उधड़ चुकी हैं
तमाम ख़्वाबों की धुँदली रूहें मुहीब जंगल के रास्तों पर
भटक रही हैं
उलझती साँसों की सख़्त गिर्हें
अभी तलक जिस्म पर खींची हैं
हमारे नीचे किसी ज़मीं की कशिश हो शायद
यहीं कहीं धुंद के अक़ब में हो कोई सूरज निकलने वाला
हवा के गदले सफ़र से आगे चमकते लम्हों की रहगुज़र हो
नए गुलाबों की सर-ज़मीं हो
मगर पिघलते बदन को तहलील करने वाली अजीब साअ'त सदा अटल है
हमारी ख़्वाहिश ये नेक साअ'त हमारी आँखों में घुल के फैले
हमारे जिस्मों का दर्द पिघले
हमारी ख़्वाहिश ये नेक साअ'त सुकूत बन कर तड़पते जिस्मों में आ के ठहरे
उलझती साँसों की गिर्हें खोले
हम उस की ख़ुश्बू के पुर-सुकूँ मल्गजे अंधेरे की गहरी लज़्ज़त के मुंतज़िर हैं
हम उस की ख़्वाहिश में अपने अपने धड़ों के ताबूत में बंधे हैं
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.