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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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पिछले पहर की दस्तक

अबरार अहमद

पिछले पहर की दस्तक

अबरार अहमद

MORE BYअबरार अहमद

    तिरे शहर की सर्द गलियों की आहट

    मिरे ख़ून में सरसराई

    मैं चौंका

    यहाँ कौन है

    मैं पुकारा मगर

    दूर ख़ाली सड़क पर कहीं

    रात के डूबते पहर की ख़ामुशी चल पड़ी

    रत-जगों की थकावट में डूबी हुई

    आँख से ख़्वाब निकला कोई

    लड़खड़ाता हुआ

    रात के सर्द आँगन में गिरता हुआ

    ख़ाली शाख़ों में अटके हुए

    चाँद की आँख से एक आँसू गिरा

    और सीने में गुम हो गया

    धुँद की नर्म पोरें

    मसामों में चलने लगीं

    दो तरफ़ ईस्तादा दरख़्तों के नीचे

    बहे आँसुओं की महक में मुझे

    नींद आने लगी

    स्रोत :
    • पुस्तक : Aakhrii Din Se pehle (पृष्ठ 97)
    • रचनाकार : Abrar Ahmed
    • प्रकाशन : Tahir Aslam Gora, Gora Publishers (1997)
    • संस्करण : 1997

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