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'सज्जाद-ज़हीर' के नाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

'सज्जाद-ज़हीर' के नाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

MORE BYफ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    रोचक तथ्य

    This was written at the death of Sajjad Zaheer, General Secretary of Pakistan Communist Party, a founder-member of Progressive Writers’ Association of which Faiz was a member, and one of Faiz’s fellow prisoners in the Rawalpindi Conspiracy case.

    अब हम साथ सैर-ए-गुल करेंगे

    अब मिल कर सर-ए-मक़्तल चलेंगे

    हदीस-ए-दिल-बराँ बाहम करेंगे

    ख़ून-ए-दिल से शरह-ए-ग़म करेंगे

    लैला-ए-सुख़न की दोस्त-दारी

    गम-हा-ए-वतन पर अश्क-बारी

    सुनेंगे नग़्मा-ए-ज़ंजीर मिल कर

    शब भर मिल के छलकाएँगे साग़र

    ब-नाम-ए-शाहिद-ए-नाज़ुक-ख़यालाँ

    ब-याद-ए-मस्ती-ए-चश्म-ए-ग़ज़ालाँ

    ब-नाम-ए-इम्बिसात-ए-बज़्म-ए-रिंदाँ

    ब-याद-ए-कुल्फ़त-ए-अय्याम-ए-ज़िंदाँ

    सबा और उस का अंदाज़-ए-तकल्लुम

    सहर और उस का आग़ाज़-ए-तबस्सुम

    फ़ज़ा में एक हाला सा जहाँ है

    यही तो मसनद-ए-पीर-ए-मुग़ाँ है

    सहर-गह अब उसी के नाम साक़ी

    करें इत्माम-ए-दौर जाम साक़ी

    बिसात-ए-बादा-ओ-मीना उठा लो

    बढ़ा दो शम-ए-महफ़िल बज़्म वालो

    पियो अब एक जाम-ए-अल-विदाई

    पियो और पी के साग़र तोड़ डालो

    स्रोत :
    • पुस्तक : Nuskha Hai Wafa (Kulliyat-e-Faiz) (पृष्ठ 526)
    • प्रकाशन : Educational Publishing House (2009)
    • संस्करण : 2009

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